आदिवासी उतरण का महत्व | Utaran Ka mahatav Jane |
आदिवासी उतरण का महत्व | Utaran Ka mahatav Jane | |
आदिवासी समुदाय निसर्ग मूलक उत्सव मनाता हुआ आया है, आजकल जरूर मूल रास्ते में भटक गया है।
इस भटकाव का खामियाजा भी भुगतना होगा । चौमासे में अच्छी बारिश के बाद उनाले की फसल बोई जाती हैं, जो इस समय फुलेर में आती हैं अर्थात निसर्ग (प्रकृति) के द्वारा मानवीय कर्म का फल मिलने की उम्मीद जागती हैं।
आजकल खेतों में सरसों की फसल पर फूल दिखाई देते हैं, चने की फसल के फूल देख सकते हैं, गैहू-मक्का की फसल भी जवानी की दहलीज पर होती हैं।
सूर्य उत्तरायण को चलना आरम्भ करता है, ठंड से राहत मिलने लगती हैं, पेड़ पौधों में बदलाव होने लगते हैं, इस मौसमी बदलाव को महसूस किया जाता हैं।
दिवि पक्षी* को बच्चों के द्वारा पकड़वा कर घर-घर घूमना, घी पिलाना, अन्न मांगना, शाम को “दिवि” को छोड़ना किस पेड़ पर बैठती हैं?? यह देखना आने वाला वर्ष कैसा (बारिश) होगा? अनुमान लगाना।
^गिड़ा-डोट^ खेल आयोजन आदि का संयुक्त उत्सव (उहो) उतरण हैं, दूसरे लोग पक्षियों को मरने के लिए बाध्य करने का उत्सव मनाते हैं और हम पक्षियों को घी पिलाने का उत्सव मनाते हैं।
सुबह सुबह घर के बाहर आंगन में खिचड़ी बनाई जाती है। लेकिन आज समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। अभी भी वक्त हैं, समझो।