Adivasi History in India : नमस्कार दोस्तों बहुत सारी व्यक्तियों दिमाग में यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार आदिवासी लोग कौन है इस प्रश्न के जवाब में अलग-अलग व्यक्तियों की अपनी अलग-अलग चरणों में आदिवासियों के बारे में ही जाने /
भारत के आदिवासियों का इतिहास जाने / Adivasi History in India |
दोस्तो आदिवासी अपने आप में एक गौरवशाली इतिहास हें आदिवासी ऐसे लोग हैं जिन्हें अपने पारंपरिक संस्कृति को बचाए रखा हमें इसे स्वतंत्रता आखिरी और स्वाभिमानी रहे जिन्होंने देश में संस्कृति के बीज बोए यह आदिवासी हित है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता का बीज बोया आज हम आदिवासियों के बारे में जानिए .
Adivasi History in India NEWS |
हम जानेंगे कि आदिवासी कौन है प्रमुख आदिवासी जन समूह आदिवासी भाषा आदिवासी परंपरा व संस्कृति और आदिवासी व्यक्ति आदिवासियों की समस्याओं का निवारण आदि के बारे में जानेंगे है
Adivasi Flag Photo |
आदिवासी कौन है
हेलो दोस्तों आदिवासी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है एक आधी और दूसरा वासी इन शब्दों का अर्थ मूल निवासी होता है / भारत के आदिवासी समजा की जनसंख्या का 8.6 पर सेंड करीब 10 करोड़ लोग आदिवासी हैं. २०२४ कि जनगणना होंगी तो आदिवासी समाज कि संख्या और बढ सकती हैं साथ हि आगे जाके भारत का प्रधानमंत्री आदिवासी समाज का हि होंगा ऐसे सुनने को आता हैं .
आदिवासी लोग किसको भगवा मानते हैं
आदिवासी जी कितनी जातियां है
आदिवासी प्रकृति से होते ही चीजें लेते हैं जितने उन्हें आवश्यकता होती है आदिवासियों को जनजाति भी कहते हैं और आदिवासी जन समूह भारत में करीब चार सौ इकसठ जन जातियां पाई जाती है जिनकी कई उपजातियां भी होती है मोटे तौर पर हम अधिक जनसंख्या वाली जनजातियों के बारे में जानेंगे गोंड गुण.
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भारत की सबसे बड़ी जनजाति कोनसी है
भारत की सबसे बड़ी जनजाति है इस जनजाति पांचवी सच चतुर्दिक दौड़ा गोदावरी के तट से होकर मध्य भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में फैल गई गोंड जनजाति गोंडी भाषा बोलते हैं जो कि तेलगु कन्नड़ तमिल आदि से संबंधित गुण जनसंख्या का मामले में प्रथम स्थान पर है इनकी संख्या चार करोड़ है अंदर भी अच्छे तरीके से तांत्रिक बीच गोंडवाना में अनेक राजगोंड राजवंशों का ग्रहण और सफलता संस्थापित था घोड़ों का अपना एक प्रदेश था जिसे गोंडवाना कहा जाता था
आदिवासियों की संस्कृति और रीति रिवाज
भारत के आदिवासियों का इतिहास जाने / Adivasi History in India
गोंड आदिवासियों की संस्कृति बहरी निराली लिए उन्हें अपनी संस्कृति और रीति रिवाज पर गर्व है गोंड जनजाति के प्रमुख व्यक्तियों रानी दुर्गावती झड़ अकबर के खिलाफ युद्ध किया संघर्ष या जिन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया था तब गोंडवाना के राजा शंकर शाह और उनके बेटे को रोग के मुंह बांधकर उड़ा दिया
आदिवासि संताली जनजाति
संथाल अपने आप में एक स्वतंत्र जनजाति है इस जनजाति के लोग संताली भाषा बोलते हैं इधर-उधर और अन्य धर्मों में जहां महिलाओं को विशेष सम्मान नहीं दिया जाता वहीं संथाल जनजाति एक ऐसी जनजाति जिसमें चाहे लड़के का जन्म हो अथवा लड़की का दोनों को ही सम्मान की नजरों से देखा जाता है
आदिवासी सभी लोगों को स्वतंत्रता होती है सभी लोग पढ़ लिख सकते हैं महिलाओं को विशेष सम्मान दिया जाता है उन्हें सती प्रथा पर्दा प्रथा और दहेज प्रथा की चंगुल से आजादी मिली होती है सभी लोग शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं
वे निश्चित रूप से सज धजकर समझ सकते हैं वह नौकरी मेहनत-मजदूरी इच्छित कार्य कर सकते हैं वे संताली थे जिन्हें भारत की आजादी का बीज बोया था संतालों ने 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया साथ-साथ के अन्य आदिवासी जन समूह ने भी 18 57 के पहले ही ब्रिटिशों के खिलाफ विद्रोह का झंडा गाड़ दिया.
World Indigenous Peoples Day Flag |
आदिवासी भील जनजाति का इतिहास
Adivasi Fashion Show Photo |
भील जनजाति का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है बेल जनजाति के पास अपने स अतिथि रिवाज और परंपराएं और भाषा है यह जनजाति स्वतंत्रता फ्री रहिए जिन्होंने कभी भी बाहरी असत्य की गुलामी नहीं करी भील जनजाति प्रकृतिपूजक रही है बालों की आबादी मध्य प्रदेश में के यह गुजरात राजस्थान और महाराष्ट्र में है कि देश में एक अलग भिन्न प्रदेश बनाने की मांग पर रहें साथ-साथ भील नर्मदा बिल रेजिमेंट आदि जिलों की मांगे भी हो गए है .
आदिवासी सिंधु घाटी का इतिहास
सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा है एक समय जनजाति मिस्र से लेकर श्रीलंका तक फैली थी इन दोनों पाकिस्तान-भारत हिमालई क्षेत्र नेपाल बंगा रोड श्रीलंका में शासन स्थापित किया भीलों ने विश्व प्रसिद्ध हुई एयर राई घूमर मिथिला पेंटिंग और बैरागढ़ की विश्व प्रसिद्ध साड़ियों का विकास किया है विल युद्ध के मैदान में बड़ी चतुर थे भीलों ने हल्दीघाटी युद्ध खानवा का युद्ध अरबों के खिलाफ मुगलों के खिलाफ पोषक और क्योंकि खिलाफ मराठों खिलाफ और ब्रिटिशों के खिलाफ कई युद्ध लड़े और जीत के झंडे भी लहराए
निष्कर्ष
दोस्तों आपको बता दें कि इतिहासकारों ने आदिवासियों के बारे में बहुत कम ही लिखा है और आदिवासियों ने लिखित परंपरा शायद नहीं अपनाई या फिर उनके लिखित दस्तावेजों को खत्म कर दिया गया और आदिवासियों की परंपरा रहिए उनके गीत संगीत और परंपरा में उनका इतिहास छुपा है जिसे इतिहासकार और अन्य शोधकर्ता आदिवासी इतिहास को सभी के सामने ला रहे हैं.
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