जय बिरसा | जय आदीवासी |जय जोहार.
9 जून 1900 महामानव महानायक क्रांतिसूर्य भगवान बिरसा मुंडा का शहादत दिवस।
25 साल की उम्र मे अपनी कॉम के लिए, अधिकार के लिए, अपनी सांस्कृतिक पहचान को जिन्दा रखने के लिए शहीद होने वाले का नाम है मालिक बिरसा मुंडा।
मात्र 14 वर्ष की उम्र मे बिरसा मुंडा जल, जंगल, जमीन, अधिकार, सम्मान की लड़ाई शुरू कर दी थीं और 25 साल की उम्र मे शहीद हो गए।
हमारे पुरखे समाज को जिन्दा रखने के लिए जिम्मेदारी ली और लड़ाई लड़ते लड़ते शहीद हो गए लेकीन वर्तमान मे अगर हमारे समाज की हालत देखे तो बहुत ही दयनीय स्थिति है।
हम हमारे पुरखों की विचार, विचारधारा को आत्मसम्मान करते हुए उन विचार, विचारधारा, सिद्धान्त अमल न होकर व्यक्तिवाद, वर्चस्ववाद, संगठनवाद की ओर मुड़ गए।
|👇🏻| Birsa Munda History |👇🏻|
वर्तमान मे हमारे समाज का अस्तित्व,अस्मिता खत्म होने की कगार पे है, हमारे समाज को जिन्दा कैसे रखेंगे, हमारे अधिकार को कैसे बचाएंगे, आने वाली पीढ़ी को जिन्दा कैसे रखेंगे, हमारी माता बहनों को कैसे सुरक्षित रखेंगे इसकी जिम्मेदारी लेकर योजना, प्लानिंग करके संघर्ष करने की जरूरत है।
इसलिए हमारे पुरखों की सोच, विचार, विचारधारा ओर उनके सामाजिक परिदृश्य, बौद्धिक परिदृश्य को समझ कर आत्मसम्मान के साथ उलगुलानी, पुरोगामी सोच के साथ संघर्ष करने की जरूरत है।
बिरसा मुंडा ने कहा है वही समाज जिंदा रहता है जो आने वाली पीढ़ी को जिन्दा रखने के लिए उस समाज के लोग मारने, मरने के लिए तैयार होते हैं।
महामानव महानायक क्रांतिसूर्य धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर शत शत नमन जोहार।
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