History of Kartik Oraon : हजारों वर्षों से वनों, जंगलों में रहनेवाले आदिवासि समाज में जन्मे स्वर्गीय कार्तिक उरांव जी का अनन्यसाधारण इतिहास हे पीढ़ियों तक आदिवासियों के मसीहा कार्तिक उरांव हमारा मार्गदर्शन करता रहेगा. और इनका पुरा इतिहास पढे ।
Kartik Oraon History : |
कार्तिक उरांव का जन्म कब हुवा । History of Kartik Oraon
कार्तिक उरांव का जन्म 29 अक्टूबर 1924 में गुमला जिल्हा के करोंदा लिट्टाटोली में हुआ था उनके पिता का नाम जबरा उराव था और उनके माताजी का नाम बिरसी जबरा उराव था कार्तिक उराव जी का नाम कार्तिक महीने में होने के कारन कार्तिक नाम पड़ा
आदिवासियों के मसीहा कार्तिक उरांव का पुरा इतिहास आगे पढे । History of Kartik Oraon
आदिवासी समाज आजादी की लड़ाई के बाद अपनी आवाज ढूंढ रहे थे। कार्तिक उरांव हि बनें थे उनकी आवाज । कार्तिक उरांव जी ने राजनीतिक तौर पर कहा कि, “अगर कार्तिक बाबा को किसी धर्म का समर्थक व किसी पक्ष का विरोधी समझेंगे, तो यह कभी न्यायोचित नहीं होगा। सनातन की वकालत करने वाले सोचें, आदिवासी को आदिवासी ही रहने दें”।
8 दिसंबर 1981 एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो बिहार राज्यकी लोहरदगा लोकसभा सीट से संसद सदस्य थे | उन्होंने 1947 के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया। कार्तिक उरांव जी ने आदिवासी संगठन “अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद” भी किया। कार्तिक उरांव ओरांव जाती के एक आदिवासी नेता थे।
उनका जन्म 29 अक्टूबर 1924 में भारत के झारखंड राज्य के गुमला जिले के करौंदा लिट्टटोली गाँव में हुआ था। उनका जन्म कुरुख समुदाय में हुआ था। वे लोकसभा के एक आदिवासी सदस्य भी थे। उनके पिता का नाम जबरा उरांव और माता का नाम बिरसी जबरा उरांव था। कार्तिक उरांव का नाम कार्तिक था, क्योंकि वह कार्तिक के महीने में पैदा हुआ था और अपने माता बिरसी उरांव -पिता जबरा उरांव की चौथी संतान था।
कार्तिक उरांव कि शिक्षा History of Kartik Oraon
- 1942 में गुमला से हाई स्कूल की पढ़ाई कि
- उन्होंने साइंस कॉलेज, पटना से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की
- और बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग,
- पटना से इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
- इसके बाद, उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी और ग्रेट ब्रिटेन के संस्थानों से कई योग्यताएं हासिल कीं।
और अब तक कुरुख समुदाय के सबसे शिक्षित व्यक्तियों में से एक माना जाता है और विदेशी शिक्षा के अलावा उनके उरांव सदरी के प्रशंसक हैं।
कार्तिक उरांव जी किनके कहने पर राजनीति में आये History of Kartik Oraon
पंडित जवाहर लाल नेहरू के कहने पर कार्तिक उरांव जी राजनीति में आये. एक बार विधायक और तीन बार सांसद रहे हे कार्तिक उरांव ही आदिवासियों की जमीन लूट के खिलाफ आंदोलन करने वाले पहले व्यक्ति थे. आठ दिसंबर 1981 को उनका निधन हुआ था. आज भी कार्तिक उरांव आदिवासियों के मसीहा व छोटानागपुर के काला हीरा के रूप में जाने जाते हैं.
- साल 1962 में एचइसी के बड़े पद को छोड़ राजनीति में प्रवेश किये.
- कार्तिक उरांव ने साल 1962 में कांग्रेस से लोहरदगा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा चुनाव में खड़े हुए.
- साल 1967 में पुन: वे लोकसभा चुनाव में कूद पड़े
- भारी मतों से विजयी हुए. इसके बाद वे 1971 व 1980 के लोकसभा चुनाव में सांसद बने.
- 1977 में भी वे चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गये.
- लोकसभा में हारने के बाद 1977 में उन्होंने बिशुनपुर विधानसभा से चुनाव लड़े और भारी मतों से विजयी हुए
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