How To Use RUDRAKSH To Get : रुद्राक्ष प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग कैसे करें : How To Use RUDRAKSH To Get 2024 शिव महापुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को रुद्राक्ष की पूरी महिमा सुनाई है।
रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। इसे परम पावन समझना चाहिए। रुद्राक्ष के दर्शन से, स्पर्श से तथा उसपर जप करने से वह समस्त पापों का हरण करने वाला माना गया है। भगवान शिव ने समस्त लोकों का उपकार करने के लिए देवी पार्वती के सामने रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन किया था। आइए जानते हैं क्या है रुद्राक्ष की महिमा, क्यों, कैसे, किन्हें धारण करना चाहिए रुद्राक्ष। साथ ही यह भी जानेंगे कि धारक के लिए कितना लाभकारी है रुद्राक्ष। How To Use RUDRAKSH To Get
रुद्राक्ष का परिचय और लाभ जानिए, कितने मुख वाला रुद्राक्ष है आपके लिए लाभकारी : Know the introduction and benefits of Rudraksha : How To Use RUDRAKSH To Get
भगवान शंकर के अनुसार, ”पूर्वकाल की बात है, मैं मन को संयम में रखकर हजारों दिव्य वर्षों तक घोर तपस्या में लगा रहा। एक दिन सहसा मेरा मन क्षुब्ध हो उठा। मैं सम्पूर्ण लोकों का उपकार करने वाला स्वतंत्र परमेश्वर हूं। अत: उस समय मैंने लीलावश ही अपने दोनों नेत्र खोले, खोलते ही मेरे नेत्र पुटों से कुछ जल की बूंदें गिरीं। आंसुओं की उन बूंदों से वहां रुद्राक्ष नामक वृक्ष पैदा हो गया।
Know the introduction of Rudraksha according to Shiva Mahapuran : जानिए शिव महापुराण के अनुसार रुद्राक्ष का परिचय
शिव महापुराण के अनुसार, भक्तों पर अनुग्रह करने के लिए वे अश्रुबिन्दु स्थावर भाव को प्राप्त हो गये। वे रुद्राक्ष भगवान शिव ने विष्णुभक्त को तथा चारों वर्णों के लोगों को बांट दिया। भूतलपर अपने प्रिय रुद्राक्षों को उन्होंने गौड़ देश में उत्पन्न किया। मथुरा, अयोध्या, लंका, मलयाचल, सह्यगिरि, काशी तथा अन्य देशों में उनके अंकुर उगाये गये।
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Good luck of the same caste of Rudrakshas : रुद्राक्षों की ही जाति के शुभाक्ष भी हैं।
भगवान शिव कहते हैं, ”मेरी आज्ञा से वे (रुद्राक्ष) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जाति के भेद से इस भूतलपर प्रकट हुए। रुद्राक्षों की ही जाति के शुभाक्ष भी हैं। उन ब्राह्मणादि जातिवाले रुद्राक्षों के वर्ण श्वेत, रक्त, पीत तथा कृष्ण हैं। मनुष्यों को चाहिये कि वे क्रमश: वर्ण के अनुसार अपनी जाति का ही रुद्राक्ष धारण करें।
It is appropriate to wear Rudraksha : रुद्राक्ष धारण करना उचित है
ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ, गृहस्थ और संन्यासी – सबको नियमपूर्वक रुद्राक्ष धारण करना उचित है। इसे धारण करने का सौभाग्य बड़े पुण्य से प्राप्त होता है। रुद्राक्ष शिव का मंगलमय लिंग विग्रह है। It is appropriate to wear Rudraksha सूक्षम रुद्राक्ष को ही सदा प्रशस्त माना गया है। सभी आश्रमों, समस्त वर्णों, स्त्रियों और शूद्रों को भी भगवान शिव की आज्ञा के अनुसार सदैव रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
श्वेत रुद्राक्ष केवल ब्राह्मणों को ही धारण करना चाहिए। गहरे लाल रंग का रुद्राक्ष क्षत्रियों के लिए हितकर बताया गया है। वैश्यों के लिए प्रतिदिन बारंबार पीले रुद्राक्ष को धारण करना आवश्यक है और शूद्रों को काले रंग का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह वेदोक्त मार्ग है।
शिव महापुराण के अनुसार, जो रुद्राक्ष बेर के फल के बराबर होता है, वह उतना छोटा होने पर भी लोक में उत्तम फल देनेवाला तथा सुख सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है। जो रुद्राक्ष आंवले के फल के बराबर होता है, वह समस्त दु:खों का विनाश करने वाला होता है तथा जो बहुत छोटा होता है, वह सम्पूर्ण मनोरथों और फलों की सिद्धि करने वाला है। रुद्राक्ष जैसे-जैसे छोटा होता है, वैसे ही वैसे अधिक फल देने वाला होता है। एक-एक बड़े रुद्राक्ष से एक-एक छोटे रुद्राक्ष को विद्वानों ने दसगुना अधिक फल देने वाला बताया है।
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कैसे रुद्राक्षों को करें धारण? How to wear Rudrakshas? How To Use RUDRAKSH To Get
समान आकार-प्रकार वाले चिकने, मजबूत, स्थूल, कण्टकयुक्त और सुंदर रुद्राक्ष अभिलाषित पदार्थों के दाता तथा सदैव भोग और मोक्ष देने वाले हैं। वहीं जिसे कीड़ों ने दूषित कर दिया हो, जो टूटा-फूटा हो, जिसमें उभरे हुए दाने न हों, जो व्रणयुक्त हों तथा जो पूरा-पूरा गोल न हो, इन पांच प्रकार के रुद्राक्षों को त्याग देना चाहिए। How To Use RUDRAKSH To Get
जिस रुद्राक्ष में अपने आप ही धागा पिरोने के योग्य छिद्र हो गया हो, वह रुद्राक्ष उत्तम माना गया है। जिसमें मनुष्य के प्रयत्न से छेद किया गया हो वह मध्यम श्रेणी का होता है। रुद्राक्ष-धारण बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाल हे। How To Use RUDRAKSH To Get
शिव महापुराण के अनुसार इस जगत् में ग्यारह सौ धारण करके मनुष्य जिस फल को पाता है उसका वर्णन सैकड़ों वर्षों में भी नहीं किया जा सकता। भक्तिमान् पुरुष साढ़े पांच सौ रुद्राक्ष के दानों का सुंदर मुकुट बना लें और उसे सिर पर धारण करें। तीन सौ साठ दानों को लंबे सूत्र में पिरोकर एक हार बना लें। वैसे-वैसे तीन हार बनाकर भक्ति परायण पुरुष उनका यज्ञोपवित तैयार करें और उसे यथास्थान धारण किये रहे।
किसी अंग में कितने रुद्राक्ष धारण करने चाहिए How many Rudraksha should be worn on any body part? How To Use RUDRAKSH To Get
सिरपर ईशान मंत्र से, कान में तत्पुरुष मंत्र से तथा गले और हृदय में अघोर मंत्र से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। विद्वान पुरुष दोनों हाथों में अघोर-बीजमंत्र से रुद्राक्ष धारण करें। उदर पर वामदेव मंत्र से पंद्रह रुद्राक्षों द्वारा गुंथी हुई माला धारण करे।
अंगो सहित प्रणव का पांच बार जप करके रुद्राक्ष की तीन, पांच या सात मालाएं धारण करें अथवा मूलमंत्र ”नम: शिवाय” से ही समस्त रुद्राक्षों को धारण करें। रुद्राक्षधारी पुरुष अपने खान-पान में मदिरा, मांस, लहसुन, प्याज, आदि को त्याग दें। How To Use RUDRAKSH To Get
जिसके ललाट में त्रिपुण्ड लगा हो और सभी अंग रुद्राक्ष से विभूषित हो तथा जो मृत्युंजय मंत्र का जप कर रहा हो, उसका दर्शन करने से साक्षात् रुद्र के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
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रुद्राक्ष अनेक प्रकार के बताये गये हैं। ये भेद भोग और मोक्षरूपी फल देने वाले हैं। There are many types of Rudraksha. How To Use RUDRAKSH To Get
- #एक मुखी : एक मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् शिव का स्वरूप है। वह भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करता है। जहां रुद्राक्ष की पूजा होती है, वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जातीं। उस स्थान के सारे उपद्रव नष्ट हो जाते हैं तथा वहां रहने वाले लोगों की सम्पूर्ण कामनाएं पूर्ण होती हैं।
- #दो मुखी : दो मुखवाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। वह सम्पूर्ण कामनाओं और फलों को देने वाला है।
- #तीन मुखी : तीन मुखवाला रुद्राक्ष सदा साक्षात् साधना का फल देने वाला है, उसके प्रभाव से सारी विद्याएं प्रतिष्ठित होती हैं।
- #चार मुखी : चार मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्मा का रूप है। वह दर्शन और स्पर्श से शीघ्र ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – इन चारों पुरुषार्थों को देने वाला है।
- #पंच मुखी : पांच मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात कालाग्निरुद्ररूप है। वह सब कुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देनेवाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है। पंचमुख रुद्राक्ष समस्त पापों को दूर कर देता है।
- #षड् मुखी : छह मुखवाला रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप है। यदि दाहिनी बांह में उसे धारण किया जाए तो धारण करने वाला मनुष्य ब्रह्महत्या आदि पापों से मुक्त हो जाता है।
- #सात मुखी : सात मुखवाला रुद्राक्ष अनंगस्वरूप और अनंग नाम से ही प्रसिद्ध है। उसको धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है। How To Use RUDRAKSH To Get
- #आठ मुखी : आठ मुखवाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरवरूप है, उसको धारण करने से मनुष्य पूर्णायु होता है और मृत्यु के पश्चात शूलधारी शंकर हो जाता है।
- #नौ मुखी : नौ मुख वाले रुद्राक्ष को भैरव तथा कपिल-मुनि का प्रतीक माना गया है। साथ ही नौ रूप धारण कर ने वाली महेश्वरी दुर्गा उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गयी हैं। शिव कहते हैं, ”जो मनुष्य भक्तिपरायण हो अपने बायें हाथ में नौ मुख रुद्राक्ष को धारण करता है, वह निश्चय ही मेरे समान सर्वेश्वर हो जाता है – इसमें संशय नहीं है।”
- #दसमुखी : दस मुखवाला रुद्राक्ष साक्षात् भगवान विष्णु का रूप है। उसको धरण करने से मनुष्य की सम्पूर्ण कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।How To Use RUDRAKSH To Get
- #ग्यारह मुखी : ग्यारह मुख वाला जो रुद्राक्ष है, वह रुद्ररूप है। उसको धारण करने से मनुष्य सर्वत्र विजयी होता है।
- #बारह मुखी : बारह मुखवाले रुद्राक्ष को केश प्रदेश में धरण करें। उसके धरण करने से मानो मस्तकपर बारहों आदित्य विराजमान हो जाते हैं।
- #तेरह मुखी : तेरह मुखवाला रुद्राक्ष विश्वेदेवों का स्वरूप है। उसको धारण करके मनुष्य सम्पूर्ण अभीष्टों को प्राप्त तथा सौभाग्य और मंगल लाभ करता है।
- #चौदह मुखी : चौदह मुखवाला जो रुद्राक्ष है, वह परम शिवरूप है। उसे भक्ति पूर्वक मस्तक पर धरण करें। इससे समस्त पापों का नाश हो जाता है।
रुद्राक्षों को धारण करने के मंत्र : Mantras to wear Rudraksha : How To Use RUDRAKSH To Get
- एक मुखी – ॐ ह्रीं नम:
- दो मुखी – ॐ नम:
- तीन मुखी – ॐ क्लीं नम:
- चार मुखी – ॐ ह्रीं नम:
- पांच मुखी – ॐ ह्रीं नम:
- छह मुखी – ॐ ह्रीं हुं नम:
- सात मुखी – ॐ हुं नम:
- आठ मुखी – ॐ हुं नम:
- नौ मुखी – ॐ ह्रीं हुं नम:
- दस मुखी – ॐ ह्रीं नम :
- ग्यारह मुखी – ॐ ह्रीं हुं नम:
- बारह मुखी – ॐ क्रौं क्षौं रौं नम:
- तेरह मुखी – ॐ ह्रीं नम:
- चौदह मुखी – ॐ नम:
इन चौदह मंत्रों द्वारा क्रमश: एक से लेकर चौदह मुखों वाले रुद्राक्ष को धरण करने का विधान है। By wearing Rudraksha these fourteen mantras
शिव महापुराण के अनुसार साधक को चाहिये कि वह निद्रा और आलस्य का त्याग करके श्रद्धा-भक्ति से सम्पन्न हो, सम्पूर्ण मनोरथों की सिद्धि के लिये ऊपर लिखे मंत्रों द्वारा रुद्राक्षों को धारण करे। रुद्राक्ष की माला धरण करने वाले पुरुषों को देखकर भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी तथा जो अन्य द्रोहकारी राक्षस आदि हैं, वे सब के सब दूर भाग जाते हैं। रुद्राक्ष मालाधारी पुरुष को देखकर मैं शिव, भगवान् विष्णु, देवी दुर्गा, गणेश, सूर्य तथा अन्य देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं।
पापों का नाश करने के लिए रुद्राक्ष धारण आवश्यक बताया गया है। वह निश्चय ही सम्पूर्ण अभीष्ट मनोरथों का साधक है। अत: अवश्य ही उसे धारण करना चाहिए। भगवान शिव कहते हैं, ”हे परमेश्वरी, लोक में मंगलमय रुद्राक्ष जैसा फलदायी दूसरी कोई माला नहीं है। How To Use RUDRAKSH To Get
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